ग्वालियर 03 अगस्त 2015/ संभाग के दतिया जिले के सुरम्य पर्वतीय एवं वनांचल क्षेत्र में स्थित सुप्रसिद्ध रतनगढ़ मंदिर के लिये देश का विशालतम घण्टा बनकर तैयार हो गया है। जल्द ही शुभ मुहूर्त में यह घण्टा रतनगढ़ माता मंदिर में विधि विधान के साथ स्थापित किया जायेगा। संभाग आयुक्त श्री के के खरे ने आज आईटी पार्क के समीप स्थित प्रभात राय के स्टूडियो में पहुँचकर घण्टे का जायजा लिया।
मालूम हो इस घण्टे का निर्माण श्रृद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखकर संभाग आयुक्त श्री खरे की पहल पर किया जा रहा है। इस घंटे के निर्माण में खास बात यह रही कि इसमें इन श्रद्धालुओं, भक्तजनों का अंश व आस्थायें शामिल की गई हैं, जो इस मंदिर में पहले छोटे-छोटे घंटे चढ़ा कर गये हैं । श्री खरे ने बताया कि रतनगढ़ माता मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में जमा हो गये घंटों से ही इस विशाल घंटे को तैयार कराया गया है। पहले इन छोटे घंटो को नीलाम कर दिया जाता था ।
मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश सहित अन्य समीपवर्ती राज्यों के श्रद्धालुओं के लिये आस्था का केन्द्र रतनगढ़ माता मंदिर परिसर को आकर्षक बनाने के लिये वास्तुविद् की सलाह से कार्य योजना बनाई गई है। मंदिर परिसर में विभिन्न विकास कार्यों के लिये स्थान तय करने के बाद कुछ स्थान बच रहा था । ट्रस्ट के सदस्यों एवं वास्तुविदों की सहमति से इस खाली स्थान पर श्रद्धालुओं की भावनाओं के अनुरूप घंटा स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
1935 किलोग्राम वजनी और 7 फीट ऊँचा है घण्टा
मूर्तिकार श्री प्रभात राय ने बताया कि यह घण्टा लगभग 1935 किलोग्राम वजनी है। इसकी ऊँचाई 7 फीट और सबसे नीचे के हिस्से की गोलाई यानि परिधि 15 फीट है। घण्टे में पवित्र ऊँ एवं स्वास्तिक के 18-18 चिन्ह उकेरे गए हैं। पूरे घण्टे में 9 रिंग हैं। साथ ही 9 देवियों के 9 अंकों को ऊँचाई-गोलाई, ऊँ, स्वास्तिक, प्राचीनकाल से चले आ रहे माता मंदिर के शिल्प को दर्शाते चारों दिशाओं के शेर, त्रिशूल, बैल के सींग आदि पवित्र चिन्हों की कारीबरी देखते ही बनती है।
मीठी धुन से गुँजायमान हुआ पूरा वातावरण
संभाग आयुक्त श्री के के खरे ने आज जैसे ही प्रभात राय स्टूडियो में चैन खींचकर घण्टे को बजाया तो उससे निकली मीठी-मीठी धुन से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। इसे सुखद संयोग ही कहेंगे कि उसी समय स्टूडियो के आस-पास रिमझिम फुहार से वातावरण में शीतलता छा गई। रतनगढ़ माता मंदिर में जब घण्टे की मीठी-मीठी धुन गूँजेगी, तो वहाँ की सुरम्य वादियों में उठने वाली गूँज का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। मूर्तिकार श्री प्रभात राय ने बताया कि मीठी धुन निकले इसके लिये अत्यंत मँहगी धातु टिन घण्टे में इस्तेमाल की गई है। उन्होंने बताया कि घण्टे में 82 प्रतिशत वेलमेटल इस्तेमाल हुई है, जिसमें 60 प्रतिशत तांबा और 32 प्रतिशत जस्ता, शीशा व रांगा शामिल है। इसके अलावा 18 प्रतिशत टिन का इस्तेमाल हुआ है।
मालूम हो इस घण्टे का निर्माण श्रृद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखकर संभाग आयुक्त श्री खरे की पहल पर किया जा रहा है। इस घंटे के निर्माण में खास बात यह रही कि इसमें इन श्रद्धालुओं, भक्तजनों का अंश व आस्थायें शामिल की गई हैं, जो इस मंदिर में पहले छोटे-छोटे घंटे चढ़ा कर गये हैं । श्री खरे ने बताया कि रतनगढ़ माता मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में जमा हो गये घंटों से ही इस विशाल घंटे को तैयार कराया गया है। पहले इन छोटे घंटो को नीलाम कर दिया जाता था ।
मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश सहित अन्य समीपवर्ती राज्यों के श्रद्धालुओं के लिये आस्था का केन्द्र रतनगढ़ माता मंदिर परिसर को आकर्षक बनाने के लिये वास्तुविद् की सलाह से कार्य योजना बनाई गई है। मंदिर परिसर में विभिन्न विकास कार्यों के लिये स्थान तय करने के बाद कुछ स्थान बच रहा था । ट्रस्ट के सदस्यों एवं वास्तुविदों की सहमति से इस खाली स्थान पर श्रद्धालुओं की भावनाओं के अनुरूप घंटा स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
1935 किलोग्राम वजनी और 7 फीट ऊँचा है घण्टा
मूर्तिकार श्री प्रभात राय ने बताया कि यह घण्टा लगभग 1935 किलोग्राम वजनी है। इसकी ऊँचाई 7 फीट और सबसे नीचे के हिस्से की गोलाई यानि परिधि 15 फीट है। घण्टे में पवित्र ऊँ एवं स्वास्तिक के 18-18 चिन्ह उकेरे गए हैं। पूरे घण्टे में 9 रिंग हैं। साथ ही 9 देवियों के 9 अंकों को ऊँचाई-गोलाई, ऊँ, स्वास्तिक, प्राचीनकाल से चले आ रहे माता मंदिर के शिल्प को दर्शाते चारों दिशाओं के शेर, त्रिशूल, बैल के सींग आदि पवित्र चिन्हों की कारीबरी देखते ही बनती है।
मीठी धुन से गुँजायमान हुआ पूरा वातावरण
संभाग आयुक्त श्री के के खरे ने आज जैसे ही प्रभात राय स्टूडियो में चैन खींचकर घण्टे को बजाया तो उससे निकली मीठी-मीठी धुन से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। इसे सुखद संयोग ही कहेंगे कि उसी समय स्टूडियो के आस-पास रिमझिम फुहार से वातावरण में शीतलता छा गई। रतनगढ़ माता मंदिर में जब घण्टे की मीठी-मीठी धुन गूँजेगी, तो वहाँ की सुरम्य वादियों में उठने वाली गूँज का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। मूर्तिकार श्री प्रभात राय ने बताया कि मीठी धुन निकले इसके लिये अत्यंत मँहगी धातु टिन घण्टे में इस्तेमाल की गई है। उन्होंने बताया कि घण्टे में 82 प्रतिशत वेलमेटल इस्तेमाल हुई है, जिसमें 60 प्रतिशत तांबा और 32 प्रतिशत जस्ता, शीशा व रांगा शामिल है। इसके अलावा 18 प्रतिशत टिन का इस्तेमाल हुआ है।
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