तानसेन
संगीत समारोह का रंगारंग आगाज़
पंडित
विद्याधर व्यास राष्ट्रीय तानसेन सम्मान से अलंकृत
कर्नाटक
की नाट्य संस्था निनासम हेग्गोडु राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान से विभूषित
नई
पीढ़ी को परंपराओं से रूबरू कराना जरूरी : मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ
ग्वालियर 17 दिसम्बर 2019/ शास्त्रीय
संगीत के क्षेत्र में दुनियाभर में प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय तानसेन समारोह का मंगलवार
को भव्य एवं गरिमामय शुभारंभ हुआ। हजीरा स्थित संगीत सम्राट तानसेन की समाधि स्थल पर
सूर्य मंदिर की आभा से दमकते मंच पर आयोजित इस समारोह में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि
प्रदेश की संस्कृति मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ ने ग्वालियर घराने के मूर्धन्य गायक
पं. विद्याधर व्यास को वर्ष 2019 के तानसेन सम्मान से अलंकृत किया। वहीं कर्नाटक की
नाट्य संस्था नील कंठेश्वर नाट्य सेवा संघ (निनासम हेग्गोडु ) के डायरेक्टर के
वेंकटेश एवं सचिव एन नारायण भट्ट को राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान से विभूषित
किया।
इस अवसर पर संस्कृति विभाग के प्रमुख
सचिव पंकज राग, संभागीय आयुक्त एम बी ओझा, कलेक्टर अनुराग चौधरी, पुलिस अधीक्षक श्री
नवनीत भसीन, सभापति नगर निगम श्री राकेश माहौर, नगर निगम आयुक्त श्री संदीप माकिन,
उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के निर्देशक श्री अखिलेश वर्मा विशेष रूप
से उपस्थित थे।
तानसेन समारोह को संबोधित करते
हुए संस्कृति मंत्री डॉ साधौ ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के
नेतृत्व में कला संस्कृति को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। आज तकनीकी
का युग है लेकिन हमें बर्तमान पीढ़ी को अपनी जड़ों परंपराओं और संस्कारों से रूबरू कराने
की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता हमारी भारतीय संस्कृति का मूल स्वभाव
रहा है । संस्कृति के माध्यम से हम इसे पोषित करें आज इसकी जरूरत है। उन्होंने कहा
कि हरेक विचारधारा का संम्मान होना चाहिए।मध्यप्रदेश सरकार इसी मंत्र के साथ काम कर
रही है। उन्होंने कहा कि आज पंडित विद्याधर व्यास जी और निनासम का सम्मान करके वे खुद
को गौरवान्वित महसूस कर रहीं हैं। उन्होंने सम्मानित कलाकारों को मुख्यमंत्री कमलनाथ
व अपनी ओर से शुभकामनाएं भी दी।
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इस अवसर
पर तानसेन समारोह से सम्मानित पं. विद्याधर व्यास ने अपने बिचार व्यक्त करते हुए कहा
तानसेन सम्मान मिलने पर वे खुद को गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। वास्तव में ये ग्वालियर
घराने की उस सुदीर्घ परंपरा का सम्मान है जो विष्णु दिगम्बर पलुस्कर से होती हुई हम
तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि कला को अगली पीढ़ी में संप्रेषित करना बहुत जरूरी है।
ग्वालियर घराने में ये काम हो रहा है। ग्वालियर ख्याल गायकी परंपरा का सबसे पुराना
घराना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ग्वालियर घराने की ये परंपरा आगे भी जारी रहेगी।
इस सम्मान से उन्हें आगे जाने की भी प्रेरणा मिलेगी।
शुरू में
मुख्य अतिथि डॉ विजयलक्ष्मी साधौ ने तानसेन की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए
चादरपोशी की। तत्पश्चात दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संस्कृति विभाग
के प्रमुख सचिव पंकज राग ने स्वागत भाषण दिया और सम्मानित विभूतियों का प्रशस्ति वाचन
भी किया। अतिथियों का स्वागत उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक
अखिलेश वर्मा ने किया।अंत में संभागीय आयुक्त एम बी ओझा ने आभार व्यक्त किया।
पं. रविशंकर के जीवन पर केंद्रित
छायाचित्र प्रदर्शनी 'प्रणति' का शुभारंभ
विश्वविख्यात
सितार वादक पं. रविशंकर के जीवन पर केंद्रित छायाचित्र प्रदर्शनी 'प्रणति' का भी आज
शुभारंभ किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख
सचिव पंकज राग ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में पं रविशंकर,
उनके परिजनों और देश विदेश में रह रहे उनके सांगीतिक मित्रों के साथ लिए गए छायाचित्र
प्रदर्शित किए गए हैं । कई चित्र तो बहुत ही दुर्लभ हैं । एक छायाचित्र से पता चलता
है कि पं रविशंकर शुरू के दिनों में नृत्य भी करते थे। ऐसे ही एक चित्र में वे लन्दन
की सड़कों पर सितार लिए पैदल पैदल जा रहे है। ऐसे अन्य दुर्लभ चित्र में वे यहूदी मेनुहिन
और जॉर्ज हैरिसन, उस्ताद अमज़द अली खां, पं भीमसेन जोशी, उस्ताद अलाउद्दीन खां और पं
किशन महाराज के साथ दिख रहे है। उनके कुछ छायाचित्र परिजनों के साथ भी है इनमें वे
अपनी बड़ी बेटी सुकन्या और छोटी बेटी अनुष्का एवं बड़े भाई उदयशंकर के साथ है। पं रविशंकर
के जीवन पर केंद्रित छायाचित्रों की यह प्रदर्शनी उनके जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य
में लगाई गई है। आज शाम हज़ारों की तादाद में संगीत रसिकों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया
और इसकी सराहना की।
कार्यक्रम
में सम्मानित कलाकार पण्डित विद्याधर व्यास ने राग “केदार” में ख्याल गायकी की प्रस्तुति
दी। जबकि शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के छात्र-छात्राओं द्वारा ध्रुपद
गायन, मोईनुद्दीन खां जयपुर द्वारा सारंगी वादन एवं प्रेमकुमार मलिक प्रयागराज द्वारा
ध्रुपद गायन की प्रस्तुति दी गई।
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