“तानसेन
समारोह-2019”
(अंतिम सभा 21 दिसम्बर – गूजरी महल)
गुजरी महल में सुरों ने दोहराया
इतिहास
ग्वालियर
22 दिसम्बर 2019/ हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अंतरराष्ट्रीय आयोजन तानसेन समारोह
के अंतिम दिन की सभा में सुरों ने एक बार फिर इतिहास दोहराया। विश्व प्रसिद्ध गुजरी
महल जहां कभी मृगनयनी ने तानसेन और राजा मानसिंह तोमर के सानिध्य में सुर छेड़े1 होंगे
वहां आज फिर सुरों की महफ़िल सजी और उसमें देश विदेश की महिला कलाकारों ने ही प्रस्तुतियां
दी।ये सभा अपने आप में अनूठी रही।
सभा का शुभारंभ शारदा नाद संगीत महाविद्यालय रामकृष्ण
मिशन आश्रम के विद्यार्थियों के ध्रुपद गायन से हुआ। विद्यार्थियों ने राग मारवा के
सुरों में पगी चौताल की बंदिश पेश की -" सरस्वती आदि रूप"। सभी ने बड़े सलीके
से ध्रुपद पेश किया। पखावज पर यमुनेश नागर और हारमोनियम पर अनूप मोघे ने संगत की।
अगली प्रस्तुति में बेल्जियम से आईं कलाकारों ने विश्व
संगीत के तहत यूरोप और अमेरिका का पारम्परिक संगीत प्रस्तुत किया। बेल्जियम की हेलिना
सूटर्स व विएतरेज़ ने एक के बाद एक इंग्लिश सांग्स की प्रस्तुति दी। विएतरेज़ गिटार वादन
कर रही थी जबकि हेलिना गायन पर कर रहीं थी। हेलिना ने यूरोपीय देशों के फोक संगीत और
पारंपरिक पुरानी रचनाओं तथा संगीत पर काफी काम किया है। हेलिना सुपरानो यानि तार सप्तक
के सांग्स गाने वाली गायिका हैं। उनकी परंपरा में गीतों में कहानियां होती हैं, दोनों
इसका अपनी प्रस्तुति में बखूबी प्रदर्शन किया।
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सभा का समापन कोलकाता से पधारीं सुश्री मीता नाग के
सुमधुर सितार वादन से हुआ। आपने अपने वादन के लिए राग कौशिकी कान्हड़ा का चयन किया।
आलाप जोड़ झाला से शुरू करके आपने इस राग में दो गतें पेश कीं। विलम्बित और द्रुत दोनों
ही गतें तीन ताल में निबद्ध थीं। मीता जी के वादन में गायिकी और तंत्रकारी दोनों ही
अंगों का समावेश देखने को मिलता है। आपका वादन माधुर्य युक्त और रागदारी से परिपूर्ण
था। आपके साथ तबले पर अंशुलप्रताप सिंह ने बेहतरीन संगत का प्रदर्शन किया।
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