प्रख्यात सितार वादिका सुश्री
मंजू मेहता "राष्ट्रीय
तानसेन सम्मान'' से विभूषित
संगीत, कला एवं संस्कृति के
क्षेत्र में उत्कृष्ट काम कर रहीं दो संस्थाएँ
राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर
सम्मान से अलंकृत
संगीत की नगरी ग्वालियर में केन्द्रीय
मंत्री श्री तोमर के मुख्य आतिथ्य में हुआ
तानसेन समारोह का भव्य
शुभारंभ
ग्वालियर 25 दिसम्बर 2018/ भारतीय
शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनिया में सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव
"तानसेन समारोह''
का संगीत
की नगरी ग्वालियर में भव्य शुभारंभ हुआ। संगीत सम्राट तानसेन की समाधि के समीप अस्सी
खम्बे की बावड़ी की थीम पर बने आकर्षक मंच पर मंगलवार की शाम आयोजित हुए भव्य एवं
गरिमामय समारोह में सुप्रतिष्ठित सितार वादिका सुश्री मंजू मेहता को वर्ष 2018-19
के "राष्ट्रीय तानसेन सम्मान'' से विभूषित किया गया। इस अवसर पर दो संस्थाओं को राष्ट्रीय
राजा मानसिंह तोमर सम्मान से अलंकृत किया गया। संकटमोचन प्रतिष्ठान वाराणसी को
वर्ष 2017-18 और नटरंग प्रतिष्ठान नईदिल्ली को वर्ष 2018-19 का राष्ट्रीय राजा
मानसिंह तोमर सम्मान दिया गया है।
समारोह के मुख्य
अतिथि केन्द्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर और
अन्य अतिथियों ने सुश्री मंजू मेहता को राष्ट्रीय तानसेन सम्मान के रूप में दो लाख
रूपए की सम्मान राशि,
प्रशस्ति
पट्टिका व शॉल-श्रीफल भेंट किए। मध्यप्रदेश शासन द्वारा भारतीय शास्त्रीय संगीत के
क्षेत्र में संगीत सम्राट तानसेन के नाम से स्थापित यह सर्वोच्च राष्ट्रीय संगीत
सम्मान है। इसी तरह राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान के तहत प्रत्येक संस्था
को एक – एक लाख रूपए की
आयकर मुक्त राशि और प्रशस्ति पट्टिका भेंट कर सम्मानित किया गया। वाराणसी के
संकटमोचन प्रतिष्ठान की ओर से श्री विशम्भर नाथ मिश्र और नटरंग प्रतिष्ठान की ओर
से श्रीमती रश्मि वाजपेयी ने राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान प्राप्त किया।
इस अवसर पर विधायक
श्री भारत सिंह कुशवाह, नगर निगम के सभापति श्री राकेश माहौर, संस्कृति विभाग की
सचिव श्रीमती रेनू तिवारी, संभाग आयुक्त श्री बी एम शर्मा, पुलिस उप महानिरीक्षक
श्री मनोहर वर्मा एवं कलेक्टर श्री भरत यादव उपस्थित थे।
राष्ट्रीय तानसेन
अलंकरण व राजा मानसिंह तोमर सम्मान प्रदान करने से पहले संस्कृति विभाग की सचिव श्रीमती
रेनू तिवारी ने स्वागत उदबोधन दिया और सम्मानित विभूतियों के सम्मान में प्रशस्ति
वाचन किया।
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आरंभ
में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर इस वर्ष के तानसेन समारोह का विधिवत शुभारंभ
किया। अतिथियों ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व
केन्द्रीय मंत्री स्व. माधवराव सिंधिया के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। उस्ताद
अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के प्रभारी निदेशक श्री राहुल रस्तोगी भी
कार्यक्रम में मौजूद थे।
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समारोह
में "दुर्लभ बंदिशें" पुस्तक का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। अलंकरण
समारोह के अंत में संभाग आयुक्त श्री बी एम शर्मा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त
किया। कार्यक्रम का संचालन श्री सुनील वैद्य द्वारा किया गया।
संगीत तपस्वियों की पावन धरा
है ग्वालियर - श्री तोमर
केन्द्रीय मंत्री श्री
नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस अवसर पर कहा कि ग्वालियर की पावन धरा से निकले संगीत के तपस्वियों
ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा सुर सम्राट तानसेन के सम्मान
में ग्वालियर में हर साल संगीत का महोत्सव आयोजित किया जाता है। खुशी की बात है इस
समारोह को प्रदेश सरकार ने और भव्यता प्रदान की है। श्री तोमर ने कहा कि ग्वालियर में
राजा मानसिंह तोमर और संगीत सम्राट तानसेन द्वारा पोषित ध्रुपद कला को आगे बढ़ाने के
लिये एक ध्रुपद केन्द्र शुरू हुआ है, जिससे निकले बच्चे देश-विदेश में भारत का नाम
रोशन कर रहे हैं। उन्होंने कहा इसी तरह राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय
से शास्त्रीय संगीत व अन्य कलाओं का पोषण हो रहा है।
अद्भुत है ग्वालियर की कला
रसिकता - सुश्री मंजू मेहता
राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण
से विभूषित विदुषी सुश्री मंजू मेहता ने तानसेन सम्मान प्रदान करने के लिये राज्य सरकार
के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा ग्वालियर एक ऐसी धरा है, जिस पर बड़े से
बड़े संगीत कलाकार के मन में यहाँ प्रस्तुति देने का ख्वाब रहता है। सुश्री मेहता ने
यहाँ की अद्भुत कला रसिकता की सराहना की।
सुश्री मंजू मेहता के सितारों
से झरे मीठे सुरों में डूबे रसिक
तानसेन समारोह की
पहली संगीत सभा के प्रथम कलाकार के रूप में तानसेन सम्मान से अलंकृत विश्व विख्यात
सितार वादिका विदुषी मंजू मेहता ने सितार वादन प्रस्तुत किया। उनके सितार वादन से
झर रहे मीठे-मीठे सुरों से संगीत रसिक सराबोर हो गए। उस्ताद अलाउद्दीन खाँ की
परंपरा की प्रतिनिधि सुश्री मंजू मेहता ने अपने सितार वादन की शुरूआत राग
"सरस्वती" से की। सुंदर और मधुर आलापचारी जोड़ झाला की प्रस्तुति के बाद
उन्होंने विलंबित गत ताल पेश कर समा बांध दिया। उन्होंने द्रुत गति तीन ताल में जब
अति द्रुत झाला की प्रस्तुति दी तो रसिक वाह-वाह कहने को मजबूर हो गए। उनके वादन
में रागों की अद्भुत और गहरी समझ, लय पर अद्भुत नियंत्रण एवं स्वर संयोजन व भाव
प्राकट्य सुनते ही बन रहे थे। उनके सितार वादन की अलहदा शैली में "तंत्रकारी
अंग" और "गायकी अंग" का अद्भुत संमिश्रण सुनने को मिला। सुश्री
मंजू मेहता ने विश्व विख्यात सितार वादक पं. रवि शंकर से भी शिक्षा प्राप्त की है।
उनके वादन में गुरू की छाप स्पष्ट समझ में आ रही थी। सुश्री मंजू मेहता के साथ
तबले पर श्री रामेन्द्र सिंह सोलंकी ने नफासत भरी जुगलबंदी की।
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ध्रुपद के आंगन में पं. रित्विक सान्याल ने जीवंत की डागर वाणी परंपरा
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उत्तर भारतीय शास्त्रीय गायन के ध्रुपद शैली
के अग्रणी गायक पं. रित्विक सान्याल ने अपने गायन से ध्रुपद के आंगन ग्वालियर में डागरवाणी
परंपरा को जीवंत कर दिया। देश ही नहीं दुनियाभर के 50 देशों में प्रस्तुति दे चुके
पं. सान्याल ने राग "जोग" में आलाप किया और चौताल में निबद्ध बख्शू रचित पारंपरिक ध्रुपद बंदिश प्रस्तुत की, जिसके बोल थे
"प्यारी तेरे नैनन मीन कर लीनी" । उन्होंने इसके बाद राग "किरवानी"
में तानसेन की रचना "ऐरी सप्त सुर तीन ग्राम" का गायन कर लोगों को असली ध्रुपद
गायकी का एहसास कराया। उनके साथ पखावज पर श्री आदित्यदीप और तानपूरे पर उनके सुपुत्र
व अन्य कलाकारों ने संगत की।
माधव
संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन से हुई पहली सभा की शुरुआत
इस साल के तानसेन समारोह की पहली संगीत
सभा का आगाज शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के विद्यार्थियों व आचार्यों द्वारा
प्रस्तुत ध्रुपद गायन से हुआ। श्रीमती वीणा जोशी के निर्देशन में पं. रातनजनकर
रचित प्रशस्ति “ध्रुव कंठ स्वरोजगार” के साथ गायन की शुरूआत की। यह प्रशस्ति राग माला अर्थात चार रागों
धनश्री, गौरी, यमन व खमाज में गाई। इसके बाद राग राग शंकरा और ताल चौताल में
निबद्ध ध्रुपद रचना “शिव शंकर महेश्वर” की प्रस्तुति हुई। ध्रुपद गायन में पखावज पर श्री यमुनेश नागर ने संगत
की।
“तानसेन समारोह” में आज इनकी
प्रस्तुति
प्रात:कालीन
सभा –
26 दिसम्बर
श्री यखलेश बघेल का ध्रुपद गायन, श्री विपुल कुमार राय का
संतूर वादन, श्री निर्भय सक्सेना का गायन एवं श्री दीपक छीरसागर का मोहनवीणा वादन
होगा। इस सभा का शुभारंभ शंकर गांधर्व संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन
से होगा।
सायंकालीन
सभा – 26 दिसम्बर
विश्व संगीत के तहत श्री बेहदाद बाबई
एवं श्री अर्देशिर कामकार ईरान की सहतार - कमांचे की जुगलबंदी, सुश्री वैशाली
देशमुख का गायन, उस्ताद फारूख लतीफ खाँ का सारंगी वादन व सुश्री रूचिरा काले केदार
का गायन होगा । इस सभा का आरंभ राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय
ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा।
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