Saturday, December 29, 2018

Tansen Samaroh 2018: Performance by Hitendra Shrivastava, K. Damodar Rao, Salman Khan & Samit Malik














तानसेन समारोह-2018
(प्रात:कालीन सभा - 29 दिसम्बर - बेहट)
गायन-वादन से बहे सुरों ने कराया मखमली एहसास
संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली में सजी आठवीं संगीत सभा

ग्वालियर 29 दिसम्बर 2018/ इस साल के तानसेन समारोह की आठवीं संगीत सभा सुर सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में सजी। इस सभा में ब्रम्हनाद के साधकों के गायन-वादन से बहे सुर  मखमली अहसास करा गए। संगीत साधकों ने ऐसा झूमके गाया-बजाया कि रसिक सुध-बुध खो बैठे। शनिवार को भगवान भोले के मंदिर के नीचे और झिलमिल नदी किनारे घनी एवं मनोरम अमराई के बीच यह सभा वहीं सजी थी जहाँ सुर सम्राट का बचपन संगीत साधना और बकरियाँ चराते हुए बीता था। किवदंती है कि तानसेन की तान से ही निर्जन में बना भगवान शिव का मंदिर तिरछा हो गया था। यह भी लोक धारणा है कि 10 वर्षीय बेजुबान बालक तन्ना उर्फ तनसुख इसी मंदिर में भगवान भोले का वरदान पाकर संगीत सम्राट तानसेन बन गया।
            सभा की शुरुआत तानसेन स्मारक कला साधना केंद्र बेहट के विद्यार्थियों के ध्रुपद गायन से हुई। उन्होंने राग भैरव में चौताल में निबद्ध बंदिश पेश की जिसके बोल थे "सकल बन छायो"। विद्यार्थियों ने पूरे मनोयोग से ये बंदिश पेश की। तानपूरे पर पूर्वा निगुडकर ने साथ दिया।
सारंगी वादन ने मोहा रसिकों का मन
            सभा की अगली प्रस्तुति में ग्वालियर के जवांसाल कलाकार सलमान खान ने मंच संभाला। उदीयमान सारंगी वादक जनाब सलमान ने अपने वादन के लिए राग "अहीर भैरव" का चयन किया। इस राग में उन्होंने दो बंदिशे पेश कीं।विलंबित बंदिश एक ताल ओर द्रुत बंदिश तीनताल में निबद्ध थी। गायकी अंग पर आधारित सलमान का वादन नफासत भरा था। उनके साथ तबले पर अब्दुल हनीफ ओर शाहरुख खान ने बेहतरीन संगत का मुजाहिरा पेश किया। सलमान के सारंगी वादन ने रसिकों का मन मोह लिया।
आ जाओ ए मेरे भोले भंडारी....
            गान मनीषी की जन्मस्थली बेहट में सजी सभा में भोपाल के युवा गायक के. दामोदर राव ने अपने गायन की शुरुआत राग "वैरागी भैरव" से की। आध्यात्मिक धारा के इस राग में श्री राव ने दो बंदिशें पेश की। एकताल में निबद्ध विलंबित बंदिश के बोल थे - "बिसर ना जाए" जबकि तीन ताल में द्रुत बंदिश के बोल थे  "तुम मोरी लाज रखो"। दोनों ही बंदिशें उन्होंने पूरी तन्मयता से गाईं।  रागदारी की तैयारी के साथ उन्होंने राग का विस्तार करते हुए इसके कई बिम्ब प्रस्तुत किये।अपने गायन का समापन उन्होंने राग "हंसध्वनि" पर आधारित एक भजन से किया, जिसके बोल थे - "आ जाओ ऐ मेरे भोले भंडारी" । इस भजन से सम्पूर्ण प्रांगण शिव भक्ति में डूब गया। उनके साथ तबले पर पंडित अनंत मसूरकर और हारमोनियम पर उस्ताद मजीद खान ने संगत की।
आदि व्रह्म निराकार....
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            घनी अमराई के बीच झिलमिल नदी के किनारे सजी संगीत सभा में दरभंगा घराने के युवा ध्रुपद गायक श्री समित कुमार ने भी अपने गायन से सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित की। कोई चार सौ साल की ध्रुपद परंपरा के संवाहक समित जी अपने परिवार की 13 वी पीढ़ी के गायक हैं। उनकी गायकी भी वही है जो तानसेन गाते थे, यानि गोहरहार वाणी । बहरहाल इन्होंने अपने गायन के लिए राग "तोड़ी" का चयन किया । सुबह की ताजगी से भरे इस राग में उन्होंने आलापचारी के साथ चौताल में निबद्ध बंदिश पेश की। घरानेदार इस बंदिश के बोल थे "आदि ब्रह्म निराकार" । समित ने इस बंदिश के कई बिम्ब प्रस्तुत किये। विविध लयकरियों के साथ गमक और मींड का बेहतरीन इस्तेमाल उनकी गायकी में दिखा। गायन को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने शूलताल में बंदिश पेश की जिसके बोल थे "साधो विद्या धर" । तानसेन रचित इस पद का स्वर संयोजन स्वयं समित कुमार का था। उनके साथ पखावज पर संजय पंत आगले ने मिठास भरी संगत की।
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तबले की थाप सुन झिलमिलाई झिलमिल.......
            प्रतिभावान युवा तबला वादक हितेन्द्र श्रीवास्तव की अंगुलिया जब तबले पर थिरकीं तो बेहट की फिजा में अजब से रंग बिखर गए। कुछ ऐसा हसीन मंजर निर्मित हुआ मानो तबले की थाप से निकल रही मीठी धुन  सुनकर संगीत सभा के मंच के बगल से  बह रही झिलमिल नदी भी झिलमिलाने लगी है। होनहार तबला वादक हितेद्र श्रीवास्तव ने ग्वालियर में रहकर डॉ मुकेश सक्सेना से तबला वादन की प्रारंभिक शिक्षा ली है। वे वर्तमान में पंडित कुमार बोस से बनारस घराने के तबला वादन की तालीम ले रहे हैं। 
            हितेन्द्र ने बेहट की सभा में तीन ताल में अपना वादन पेश किया। बेहद नफासत के साथ उन्होंने ताल का विस्तार किया। पेशकार से शुरू करके उन्होंने कायदे गतें, परनें और रेला की प्रस्तुति दी। लयकारी में भी गजब का काम दिखाया। उनके साथ सारंगी पर उस्ताद अली अहमद खां ने लहरा दिया।
वृंद वादन से स्व. बापट को श्रद्धांजलि....
            तानसेन समारोह के तहत बेहट में आयोजित हुई संगीत सभा में स्वर श्रृंगार संगीत संस्था के साधकों ने वृंद-वादन से अपने चहेते सितार वादक स्वर्गीय पं प्रमोद बापट को श्रद्धांजलि अर्पित की।  स्व. बापट ने ही वर्ष -2016 में इस संस्था की स्थापना की थी। इस साल के तानसेन समारोह में भी उन्हीं के निर्देशन में  इस संस्था के  वृंद वादन की प्रस्तुति होने वाली थी मगर ऐसा हो न सका। स्व. बापट दो दिन पहले इह लोक को छोड़ कर विदा हो गए। पर उनकी धर्मपत्नी सितार वादिका श्रीमती संध्या तिवारी बापट ने इस विषम परिस्थिति के बावजूद वृंद वादन की प्रस्तुति कराई और अपने गुरू एवं पति को स्वरांजलि देकर श्रृद्धांजलि अर्पित की। एसे दुखद अवसर पर कलाकारों ने वादन कर अपने गुरू को सच्ची संगीतांजली दी। इस वृंद वादन में 10 सितार वादक, 2 गिटार वादक तथा 4 तबला वादकों ने सामूहिक प्रस्तुति दी।  
            इस समूह ने वादन के लिये राग "वृंदावनी सारंग" प्रस्तुत किया। सारे वाद्यों का समन्वय बहुत ही अच्छा था इसके पश्चात एक धुन भी प्रस्तुत की। सभी वाद्यों का आपसी तालमेल व आलाप तानों का समिश्रण गजब का जादू पैदा कर रहा था। बेहट की इस सभा का समापन बेहद भावनात्मक रूप से सम्पन्न हुआ। रसिक श्रोताओं ने वाद्य वृंद को आत्मीयता के साथ सराहा।
इनकी रही मौजूदगी
            बेहट में आयोजित हुई संगीत सभा में क्षेत्रीय विधायक श्री भारत सिंह कुशवाह, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री शिवम वर्मा, एसडीएम ग्वालियर ग्रामीण श्री नरोत्तम भार्गव तथा श्री अशोक सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, क्षेत्रीय ग्राम पंचायतों के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में संगीत रसिक मौजूद थे।

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